Saturday, May 28, 2011

क्या सरकारें किसानों के हितों के बारे में उदासीन हैं और नेता नौटंकी कर रहे हैं?

भारत की राजधानी दिल्ली से सटे नो‌एडा के भट्टा परसौल गांव में हाल में किसानों और पुलिस के बीच टकराव हु‌आ है.

गत 17 जनवरी से उस इलाक़े के क‌ई किसान भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे थे और कुछ दिन पहले किसानों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक संघर्ष हु‌आ.

उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार तीन अधिकारियों को किसानों द्वारा बंधक बना‌ए जाने के बाद, जब ज़िलाधीश और पुलिस बल घटनास्थल पर पहुँचे तो उन पर गोली चला‌ई ग‌ई और वे घायल हो ग‌ए. पुलिस की कार्रवा‌ई में तीन लोग मारे ग‌ए, क‌ई किसान घायल हु‌ए और गांवों में भय का वातावरण है.

इसके बाद क‌ई राजनीतिक नेता‌ओं ने वहाँ जाने का प्रयास किया. भाजपा के क‌ई नेता गिरफ़्तार हु‌ए, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को हिरासत में लेने के बाद रिहा कर दिया गया. कांग्रेसियों ने इसकी निंदा की लेकिन अन्य दलों ने इसे नौटंकी बताया.

मायावती सरकार का कहना है कि भट्टा परसौल के किसानों को‌ई असंतोष नहीं है और राजनीतिक दल शांति भंग करने से बाज़ आ‌एँ. मायावती सरकार ने कहा कि न‌ए भूमि अधिग्रहण क़ानून को बनाने से केंद्र सरकार किसने रोका है? इससे पहले भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर नंदीग्रम, सिंगूर और भारत में क‌ई अन्य जगहों पर आंदोलन हु‌ए हैं.

क्या केंद्र के साथ-साथ राज्यों की सरकारें देश के लि‌ए अनाज पैदा करने वाले किसानों के हितों के प्रति उदासीन हैं? क्या भूमि अधिग्रहण न्यायसंगत ढंग से होता है और ये समाज की प्रगति के लि‌ए आवश्यक है? क्या राजनीतिक नेता इस मुद्दे पर गंभीर हैं या फिर उन्हीं के शब्दों में ’नौटंकी’ कर रहे हैं?

Thursday, May 5, 2011

अपराध की बांहों में राजधानी

जिस दिन पूरा देश महिला दिवस मना रहा था उस दिन देश की राजधानी में दिल्ली में दो हत्यायें हुई । एक दिल्ली विश्‍वविद्यालय की छात्रा राधिका तंवर की और दूसरी नोएडा के चर्चित आरूषि हत्याकांड के राजेश तलवार की वकील रेबेका जॉन की मां एम मेमन की । बात सिर्फ दो हत्या की नहीं है, बल्कि दिल्ली में बढ़ रहे अपराधिक मामले की है । आज आलम ये है कि दिल्ली में ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जब कोई हत्या, बलात्कार, छेड़छाड़ या हिंसा की खबरें मीडिया में नहीं आती और इस पूरे मामले में महिलाओं पर इसका असर सबसे ज्यादा पड़ रहा है ।

दिल्ली में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार यहां लगभग 67 प्रतिशत महिलाएं किसी न किसी रूप में दुर्व्यवहार का शिकार होती है, जबकि 2010 में हर तीन में से दो महिलाएं यौन हिंसा की शिकार हुई हैं, जबकि हर 17 घंटे में एक छेड़खानी होती है । बलात्कार के मामले में अभी तक पुलिस ने 340 पड़ोसी, 94 दोस्त, 62 रिश्तेदार, और 10 अपरिचित लोगों को हिरासत में लिया है । हैरानीजनक बात तो यह है, कि जब ऐसी कोई घटना होती है तभी पुलिस सक्रिय होती है और इसी वजह से दिल्ली में महिलाएं अपने आपको सुरक्षित नहीं मानती और दस में से सात महिलाओं का पुलिस पर से विश्‍वास उठ गया है । राजधानी की 71 प्रतिशत महिलाएं पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने में अपने आप को असुरक्षित महसूस करती है और इसका सबसे ज्यादा शिकार स्कूल या कॉलेज जाने वाली लड़कियां और असंगठित क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं होती हैं ।

ऐसे में प्रश्न ये उठता है कि दिल्ली में अपराधिक विकृतियां क्यों बढ़ रही हैं? जिसे न तो प्रशासन का डर है और ना ही सामाजिक शक्‍तियों का । सबसे बड़ी बात तो यह है कि भ्रष्टाचार और अपराध ने हमारी व्यवस्था में अंदर तक पैठ बना ली है और वे हमारे समाज के अभिन्‍न अंग बन गए हैं और यही हाल है देश की राजधानी का, यहां ऐसी कई बस्तियां हैं जहां मेहनत मजदूरी करने वाले गरीब लोग रहते हैं, और इन्हीं इलाकों में आपराधिक तत्व पोषण प्राप्त कर रहे हैं । तथा यहीं से आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं, चौंकाने वाली बात तो यह है कि पुलिस तथा प्रशासन इन सबसे वाकिफ है लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है ।

अभी हाल ही में दिल्ली सरकार ने एक आंकड़े जारी किए हैं जिसे देखकर यही लगता है कि दिल्ली में अपराधों की दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि हो रही है जबकि दिल्ली पुलिस के आधुनिकीकरण और लाख दावों के बाद भी कि यहां अपराध कम हुए हैं एक खोखला सच ही सामने आया है क्योंकि इस बात की पुष्टि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित खुद विधानसभा में कर चुकी हैं कि दिल्ली में अपराध पिछले वर्षों में काफी बढ़े हैं । हालांकि दिल्ली में बढ़ रहे अपराध को लेकर मुख्यमंत्री के बयान भी राजनीति से प्रेरित ही लगते हैं क्योंकि, राधिका तंवर हत्याकांड में जब मीडिया ने उनको कठघरे में खड़ा किया तो उन्होंने अपना पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि दिल्ली पुलिस पर मेरा कोई जोर नहीं क्योंकि यहां की पुलिस केन्द्र सरकार के अधीन काम करती है इसलिए अपराधों के प्रति मेरी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती । अब चाहे जो भी हो, इसके लिए चाहे केन्द्र सरकार दोषी हो या राज्य सरकार सबकी निगाहें दिल्ली में बढ़ रहे क्राइम ग्राफ की ओर है, और सरकार में बैठे लोग हो या पुलिस प्रशासन सबकी जिम्मेदारी बनती है कि अपराध की बाहों में जकड़ी हुई दिल्ली को बाहर निकालें ।

क्राइम जोन है दिल्ली का धौलाकुआं

दक्षिण दिल्ली का धौलाकुआं इलाका दिल्ली में बढ़ते हुए अपराधों का जोन बन गया है । एक अध्ययन के अनुसार इस क्षेत्र में पिछले एक महीने में एक बलात्कार, ग्यारह डकैती, एक हत्या, और एक छेड़खानी हुई है, जबकि पिछले वर्ष पांच महीनों का ब्यौरा देखा जाए तो अभी तक तीन बलात्कार और तीन छेड़खानी के मामले दर्ज हुए हैं ।

पिछले दो महीनों में पुलिस द्वारा दर्ज अपराधिक मामले

हत्या ---- 80
हत्या की कोशिश-----51
बलात्कार----- 14
2010 में हुए आपराधिक मामले

आपराधिक मामले--- 53,244
हत्या -----467
बलात्कार-----581
डकैती ----- 1,764
अपहरण ------1,582
वाहन चोरी---- 6867
घरों में चोरी --- 905