Thursday, September 23, 2010

टीआरपी के लिए सम्प्रदायों में द्वेष परोसा आईबीएन सेवन ने

कहते हैं मीडिया समाज में जागरूकता, ज्ञान, और संस्कृति आदि की प्रचारक होती है, लेकिन इसका उपयोग अगर सकारात्मक रूप से स्वार्थ से परे हटकर करा जाये तो । मीडिया में तो वह क्षमता है कि राक्षस को देवता, और देवता को राक्षस, पत्थर को देवता, रातों-रात किसी को महान या किसी को रातों-रात डिफेम कर दे । लेकिन क्षेत्र कोई भी हो जब कोई भी काम स्वार्थ से लिप्त गलत भावना से किया जाता है, मनुष्य बहुत दिन तक अपने अस्तित्व को ही नहीं साथ ही उस क्षेत्र को भी बदनाम करता है, जिसमें वह काम कर रहा है । १७ सितंबर २०१० को आईबीएन सेवन न्यूज चैनल में एक स्टिंग ऑपरेशन दिखाया गया कि किस तरह से बहुसंख्यक समुदाय के लोग अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को किराये में अपना मकान देने में हिचकिचाते हैं, या मना कर देते हैं ।
आखिर इस तरह का न्यूज दिखाकर के आम मानस में क्या साबित करना चाहते हैं । बस इन्हें तो टीआरपी मिल जायेगी, लेकिन आम जनता पर इसका क्या असर पड़ेगा? क्या इनका यह दायित्व नहीं बनता कि यह हमारा कार्य जिम्मेदाराना ढंग से करें । हमें समाज के दिलों को जोड़ना है ना कि तोड़ना । ऐसा नहीं है कि इस स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया समाज का चेहरा असत्य था । लेकिन इसका एक पहलू था, किसी भी चीज में या किसी भी जगह हमें अच्छाई व बुराई दोनों मिलती है, लेकिन यहां पर तो बाकायदा नाटकीय ढंग से बुराई को समाज में से निचोड़ने की कोशिश की है । और उसे चैनल पर प्रसारित कर हिंदुस्तान की गंगा-जमुनी सभ्यता को दूषित करने की कोशिश की गई है ।
कभी यह लोग इस तरह की खोज क्यों नहीं करते कि यहां समाज में दोनों समुदायों के बीच प्यार व भाईचारे की मिसाल मिलती है । और ऐसा दिखाकर ये देश व समाज के प्रति एक कर्तव्य का भी पालन कर सकते हैं । वो भी ऐसी स्थिति में जब देश में इन दोनों सम्प्रदायों के बीच में कहीं राजनीति, कहीं बाहरी देशों से चलाये गये आतंकवाद आदि हमेशा खटास पैदा करते हैं । जम्मू-कश्मीर की हालत किसी से छुपी हुयी नहीं है । अयोध्या का शान्त व पवित्र स्थान सिर्फ राजनीति के ही कारण दूषित पड़ा हुआ है । ऐसी स्थिति में जब अयोध्या का फैसला आने वाला है , देश आतंक के खतरों को झेल ही रहा है तो ऐसे में आईबीएन सेवन ने इस तरह की खबर देकर आग में घी डालने का काम करा है ।
भारत के गंगा-जमुनी सभ्यता में हिंदू-मुस्लिम करीब १ हजार साल से भी ज्यादा समय से साथ रह रहे हैं, और अगर उनमें एकता व भाईचारा नहीं होता तो इतना लम्बा समय एकसाथ बिता पाना असंभव सी बात है । यह बात अलग है, कि जहां परिवार में एक साथ बैठते हैं तो छोटी-बड़ी शिकायतें होती हैं । जिसका बाहरी कुछ स्वार्थी लोग फायदा उठाकर बरगलाते हैं, और अपने स्वार्थ हेतु माहौल को गंदा करते हैं । जबकि हमारे देश में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की एकता की मिसालें अनगिनत हैं और आये दिन ये अनगिनत मिसालें देखने को मिलती हैं ।
अभी हाल ही में १४ सितंबर को बरनाहल थाना क्षेत्र कटरा मोहल्ले कि एक महिला की बकरी ने शीतला माँ के मन्दिर में घुसकर उनकी मूर्ति क्ष्रतिग्रस्त कर दी, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने अपने हिंदू भाईयों के लिए एक अनूठी पहल करते हुये, चंदा एकत्रित कर नयी मूर्ति की स्थापना कराई तथा एक जिम्मेदाराना भाईचारे का परिचय दिया ।
इसी तरह से अजमेर में सूफी संत ‘गरीब नवाज’ मोइनुद्दीन चिश्ती का सालाना उर्स हिन्दू-मुस्लिम की जीती-जागती मिसाल पेश करता है, यहां पर पूरी श्रद्धा के साथ देश-विदेश, से कई मजहबों के लोग आते हैं, और ख़्वाज़ा से अपनी दुआ कबूल कराते हैं ।
जम्मू-कश्मीर ने लोगों ने हिन्दू-मुस्लिम भाई-चारे की अनूठी मिसाल कायम की कि यहां के मुट्‌ठी इलाके के हिंदुओं ने मिलकर कश्मीर के एक मुस्लिम युवक को दफनाने की सारी रस्में अदा कीं आर्थिक तंगी से जूझ रहे आसियां के परिवार का साथ देने के लिए यहां के हिन्दू परिवार के लोग आगे आये । तथा उनकी मदद की ।
इसी तरह उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के नौबतपुर गांव का संकटमोचन मंदिर जो १५० साल पुराना है, जो हिंदू-मुस्लिम एकता का और भाईचारे का मिसाल बना हुआ है । इस मंदिर में रमज़ान के महीने में मुसलमान रोजा खोलने से पहले की नमाज़ मंदिर में अदा करते हैं और रोज़ा हिंदुओं द्वारा बताए गए विभिन्‍न प्रकार के व्यंजनों से खोलते हैं ।

3 comments:

  1. आपकी बात से सहमत हूँ.

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  2. indian media to kewal paiso ke liye kaam karti hai usko isse koi farq nahi padta ki desh - duniya mai kya chal raha hai... ek chhoti si baat ko bada ke dekhate hai.. agar india mai sab se jyada corrupted profession koi hai to wo hai hamari media ... politician aur government employee media ke baad aate hai..

    J & K mai rooz hamare soldiers ladte hai aur na jaane kis condition mai rahte hai but media ko un sab baato se koi farq nahi padta unko to masale daar news chaiye hoti hai.. ek hi news baar-2 dekhate hai...

    abhi north mai barish se bahot nuksaan huwa but media ko kewal delhi hi dekhta hai cover karne ko .... sayad common wealth walon ne media ko paise nahi diye isliye wo har samay apne hi desh ki meekness dekhate rahte hai..

    aur bhi bahoot si baate hai but aage ab galiya hi hai media ke liye mann karta hai galiya hi galiya deta rahoo aaj ke media ko bus

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  3. मैंने बहुत बार notice किया है धरम निरपेक्षता के चकर में या TRP बदने क चकर में ज्यादातर न्यूज़ चैनल एस परकर की खबरे दिखाते है
    जो हमारे दुश्मन है उन्हें ये highlight नहीं करते
    और बल्कि हमारे ही internal problem को ज्यादा हवा देते है जो solve हो सकती है उन्हें ओर बडकडाते, internal problem को आंतकवाद कहते है
    ओर आंतकवाद को कहते है कुछ लोग करते है सरे नहीं करते

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